कभी कभी लगता है की मैं भी मेरे साथ नही हू।हमेशा दिल और दिमाग
कभी कभी लगता है की मैं भी मेरे साथ नही हू।हमेशा दिल और दिमाग में संघर्ष होता।हैं ।
मै अपने मै (अहम नही)को तलाश रहा हूं ।कभी जीवन की निस्सारता पर मन चला जाता है ।सब व्यर्थ लगता है ।
एक पल मे हज़ारो विचार दिमाग मे आवाजाही करते हैं ।
नींद अब सपना सा हो गई हैं दवाई लेनी होती हैं ।
मैं ऐसा तो बिल्कुल भी नही था हां इतनी हिम्मत है की लोगो को लगने देता हू की मैं ठीक हू क्योकि वो मन की स्तिथि का पता लगा नही सकते और हां देखने में ठीक-ठाक हूँ अपणे अन्तर्द्वन्द के साथ रोज जीता हू।।