कभी-कभी रिश्ते सबक बन जाते हैं,
कभी-कभी रिश्ते सबक बन जाते हैं,
दोस्ती के नाम पर जो हमने निभाए,
वो शायद सिर्फ इम्तिहान थे,
दिल ने समझा था उन्हें अपना,
मगर वो बस राह के साथी थे।
मोहब्बत की राह में जो हम चले,
वो कदम दर कदम एक धुंध थी,
जिनसे उम्मीदें थीं, वो दरअसल
सिर्फ परछाईं थे हमारे अपने ग़लतफहमियों की।
कभी वो हंसी थे, कभी आंसू,
मगर सच्चाई यही थी,
दोस्ती और मोहब्बत के रिश्ते,
हर बार दोस्त नहीं होते,
कभी वो सबक होते हैं,
जिनसे हम खुद को पहचानते हैं।
हर जख्म के पीछे एक सीख छिपी है,
हर बिछड़ने में एक नई शुरुआत है,
कभी दोस्ती, कभी मोहब्बत,
और कभी सिर्फ एक आईना,
जिसमें हम अपनी असलियत देखते हैं।