कभी कभी भाग दौड इतना हो जाता है की बिस्तर पे गिरने के बाद कु
कभी कभी भाग दौड इतना हो जाता है की बिस्तर पे गिरने के बाद कुछ घण्टों का होश तक नहीं रहता, ये ज़िन्दगी का पहला पडाव है फिर भी थकान तोड के रख दे रही है पता ना उस उम्र मे क्या होगा जिस उम्र मे मेरे पिता जी है शायद उन जैसा हो भी नहीं सकता खैर जिन्दगी है और हर एक का अपना तजुरबा !
खैर पेज पे अकेले लिखना और सम्हालना और अपनी अस्त व्यस्त जिन्दगी को भी सम्हालना, लोगो की उम्मीदों पे खरा उतरना, कुछ ज्यादे हो जा रहा है फिर भी चला रहे है जिन्दगी को और यही है सफर……