कभी ऐसा भी होता!
कभी ऐसा भी होता
हम तुम बाते करते-करते
बहुत दूर निकल जाते।
तुम होती अपनी पुराने लिबास में
मैं होता अपने अंदाज में…
तुम मेरे हाथ थामे होती
आते जाते सब की निगाहें
हम पर अटक जाती
कितना अच्छा होता
मैं होता, तुम होती
और यह रास्ता
थोड़ा लम्बा होता…
हम चलते जाते
आखों में आँखे डाल कर
अपने घरौंदे की ओर
जहाँ तुम रहती, मैं रहता
और हमरा आने वाला कल रहता…
जहां न अपनों की निगाहें होती
न दुनिया की परछाई
बस तुम होती, मैं होता
और हमारा सुनहरा पल होता
काश कभी ऐसा भी होता।।