कभी आना जिंदगी
मै भी जिंदा हूँ कभी घर आना जिंदगी,
किसी दिन मेरा साथ निभाना जिंदगी।
अरसा हुआ आंगन में गुल नहीं खिले,
किसी दिन मेरे दर को महकाना जिंदगी।
मैं था बस मैं ही रहा हर लम्हा हर पल,
किसी और को साथ ले आना जिंदगी ।
जीना है तो जिये जा रहे हम भी यकीन में,
चाहत को हकीकत कभी बनाना जिंदगी।
दिल की जमीं में कोई दरख्त बाकी नहीं रहा,
बचे ठूंठों पे कभी पत्ते उगा जाना जिंदगी !!!!
©विवेक ‘वारिद’*