कभी अंधेरे में हम साया बना हो,
कभी अंधेरे में हम साया बना हो,
तो चले आना।
जब दिल की खामोशी मिटाना है,
तो चले आना।
तनहाई में एकांत ही पाएंगे अपने को,
तो चले आना।
राह में अभी कांटे हैं, फूल खिलने पर ही,
तो चले आना।
गौतम साव
कभी अंधेरे में हम साया बना हो,
तो चले आना।
जब दिल की खामोशी मिटाना है,
तो चले आना।
तनहाई में एकांत ही पाएंगे अपने को,
तो चले आना।
राह में अभी कांटे हैं, फूल खिलने पर ही,
तो चले आना।
गौतम साव