कब बताता है
चेहरे का हर भाव किया वादा कब बताता है
कितना दर्द है दिल में आयना कब बताता है
क्यों तडप तडप के जान दे रहीं हैं सदियों से
इन लहरों के जज़्बात किनारा कब बताता है
हथेली की लकीरों में लिखा सब कुछ होता है
फिरभी यह मुक़द्दर खुद इशारा कब बताता है
मुसाफिरों को मंजिलों का इल्म हो तो बेहतर
वर्ना ले जायगा कहाँ यह रास्ता कब बताता है
अंधेरों में भी दीपक जलाना सीख लो आखिर
कितने वक़्त हैं खुशियाँ उजाला कब बताता है
कहते हैं कि विशवास पर ही कायम है दुनिया
कभी तक साथ दे अपना सहारा कब बताता है
कौन यूँहीं मिल जाए और कौन कहीं खो जाए
वक़्त का मिजाज़ कोई सितारा कब बताता है
छूते ही ‘मिलन’ तुझे तन मन सुलग जाता है
कितनी आग हो मुझ में शरारा कब बताता है !!
मिलन “मोनी”