कब निकलता है कोई, दिल में उतर जाने के बाद
कब निकलता है कोई, दिल में उतर जाने के बाद
इस गली के दूसरी जानिब कोई रास्ता नहीं
तुम समझते हो बिछड़ जाने से मिट जाता है इश्क़
तुम को इस दरिया की गहराई का अंदाज़ा नहीं
– ख़ुर्शीद रिज़वी
कब निकलता है कोई, दिल में उतर जाने के बाद
इस गली के दूसरी जानिब कोई रास्ता नहीं
तुम समझते हो बिछड़ जाने से मिट जाता है इश्क़
तुम को इस दरिया की गहराई का अंदाज़ा नहीं
– ख़ुर्शीद रिज़वी