कब तलक
अब नहीं शेरों का यूं बलिदान ज़ाया जाएगा
अब न वीरों की शहादत को भुलाया जाएगा।
ऐ पड़ोसी तू न अपनी ओछी हरकत पर अकड़
क्या है तेरी हैसियत तुझको दिखाया जाएगा।
जन्म हमसे ही लिया अब आँख हमको मत दिखा
अब तुझे औकात का शीशा दिखाया जाएगा।
कीमती हैं लाल ये माँ भारती की गोद के
“कब तलक वीरों का ऐसे खूं बहाया जाएगा”।
लाल जिसका लौटकर टुकड़ों में आया सामने
अब किसी माँ का न दिल छलनी बनाया जाएगा।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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