Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Mar 2023 · 1 min read

कब तक

122 122 122 122
बताओ सनम मुझको चाहोगे कब तक।
मुझे अपने दिल में बिठाओगे कब तक।।

कहा था न अब झूठे सपने दिखाना।
कि बांहों के झूले झुलाओगे कब तक ।।

अगर साथ छोड़ा तो दिल में यूं रहकर।
मुझे और कितना रुलाओगे कब तक ।।

समझ लेगा दिल दर्द दिल का तुम्हारा।
चुराओ निगाहें चुराओगे कब तक

न तुम जी सकोगे न मैं जी सकूंगी।
खताओं की आखिर सजा दोगे कब तक।।

ये आँखें तो पथरा गई राह तकते।
मैं सांसों को रोकूंगी आओगे कब तक।।

बुझी ज्योति जीवन की ठहरीं जो साँसे ।
कि आवाज देके बुलाओगे कब तक।।
✍🏻श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव

Language: Hindi
109 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आता है संसार में,
आता है संसार में,
sushil sarna
अपनी इबादत पर गुरूर मत करना.......
अपनी इबादत पर गुरूर मत करना.......
shabina. Naaz
हम कितने आजाद
हम कितने आजाद
लक्ष्मी सिंह
जब लोग आपसे खफा होने
जब लोग आपसे खफा होने
Ranjeet kumar patre
आओ जाओ मेरी बाहों में,कुछ लम्हों के लिए
आओ जाओ मेरी बाहों में,कुछ लम्हों के लिए
Ram Krishan Rastogi
हम दुनिया के सभी मच्छरों को तो नहीं मार सकते है तो क्यों न ह
हम दुनिया के सभी मच्छरों को तो नहीं मार सकते है तो क्यों न ह
Rj Anand Prajapati
राज
राज
Neeraj Agarwal
" पलास "
Pushpraj Anant
जब बहुत कुछ होता है कहने को
जब बहुत कुछ होता है कहने को
पूर्वार्थ
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
स्थितिप्रज्ञ चिंतन
स्थितिप्रज्ञ चिंतन
Shyam Sundar Subramanian
दुनिया का क्या दस्तूर बनाया, मरे तो हि अच्छा बतलाया
दुनिया का क्या दस्तूर बनाया, मरे तो हि अच्छा बतलाया
Anil chobisa
कब मरा रावण
कब मरा रावण
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
कुछ मीठे से शहद से तेरे लब लग रहे थे
कुछ मीठे से शहद से तेरे लब लग रहे थे
Sonu sugandh
💐प्रेम कौतुक-546💐
💐प्रेम कौतुक-546💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
रखें बड़े घर में सदा, मधुर सरल व्यवहार।
रखें बड़े घर में सदा, मधुर सरल व्यवहार।
आर.एस. 'प्रीतम'
*दहेज*
*दहेज*
Rituraj shivem verma
सवाल जवाब
सवाल जवाब
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*फल*
*फल*
Dushyant Kumar
दोस्ती...
दोस्ती...
Srishty Bansal
#एक_शेर
#एक_शेर
*Author प्रणय प्रभात*
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
.
.
Ms.Ankit Halke jha
"मैं सोच रहा था कि तुम्हें पाकर खुश हूं_
Rajesh vyas
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
*मोती (बाल कविता)*
*मोती (बाल कविता)*
Ravi Prakash
श्रमिक दिवस
श्रमिक दिवस
Bodhisatva kastooriya
"छछून्दर"
Dr. Kishan tandon kranti
गुमाँ हैं हमको हम बंदर से इंसाँ बन चुके हैं पर
गुमाँ हैं हमको हम बंदर से इंसाँ बन चुके हैं पर
Johnny Ahmed 'क़ैस'
शीर्षक - 'शिक्षा : गुणात्मक सुधार और पुनर्मूल्यांकन की महत्ती आवश्यकता'
शीर्षक - 'शिक्षा : गुणात्मक सुधार और पुनर्मूल्यांकन की महत्ती आवश्यकता'
ज्ञानीचोर ज्ञानीचोर
Loading...