कब तक
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बताओ सनम मुझको चाहोगे कब तक।
मुझे अपने दिल में बिठाओगे कब तक।।
कहा था न अब झूठे सपने दिखाना।
कि बांहों के झूले झुलाओगे कब तक ।।
अगर साथ छोड़ा तो दिल में यूं रहकर।
मुझे और कितना रुलाओगे कब तक ।।
समझ लेगा दिल दर्द दिल का तुम्हारा।
चुराओ निगाहें चुराओगे कब तक
न तुम जी सकोगे न मैं जी सकूंगी।
खताओं की आखिर सजा दोगे कब तक।।
ये आँखें तो पथरा गई राह तकते।
मैं सांसों को रोकूंगी आओगे कब तक।।
बुझी ज्योति जीवन की ठहरीं जो साँसे ।
कि आवाज देके बुलाओगे कब तक।।
✍🏻श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव