कब तक सहोगी?
कब तक सहोगी
कितना सहोगी
क्या कभी अपना
मुंह तुम खोलोगी…
(१)
वक्त रहते ही
सीख लो बोलना
वर्ना गूंगी की
गूंगी रहोगी…
(२)
एक लाश बनकर
रह जाओगी
अगर चुपचाप
धारा में बहोगी…
(३)
खाकर हालात
की ठोकरें
कच्ची दीवारों
जैसी ढहोगी…
(३)
इस समाज के
जर्जर सांचे में
आख़िर कितना
ख़ुद को गढ़ोगी…
(४)
तुमने रट डाले
तंत्र-मंत्र सारे
आख़िर कब
ख़ुद को पढ़ोगी…
(५)
अपनी तबाही
का ठीकरा
कब तक
गैरों पर फोड़ोगी…
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Shekhar Chandra Mitra
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