कब तक जीने के लिए कसमे खायें
कब तक जीने के लिए कसमे खायें
और नखरों के नीचे दबते चले जायें
मोहब्बत जाहिर करके एहसान कर
उसके बाद उसी के कसीदे पढ़ते जायें
संभलती नहीं दुनियादारी तुम्हारे बिन
और कब तक बेजान ही तड़पते जायें
फूल अर्पित किये सजदे किये
इधर-उधर भटके और उन्हें ढूँढते जायें