कब तक छुपाओगे ये प्यार………..कुछ भी नही “मनोज कुमार”
कब तक छुपाओगे ये प्यार प्यार बिना कुछ भी नही |
कुछ तो करो तुम शरारत शरारत बिना कुछ भी नही ||
तेरे लाल लाल रचे हुए हाथ हाथ में दे दो ना |
आके लगा लो गले महोब्बत बिना कुछ भी नही||
झुमके भी करते है प्यार गाल से चिपके हुए |
आजा इश्क़ ना हो बदनाम इश्क़ बिना कुछ भी नहीं ||
जिस्मों की खुशबू मिलाने मिलाने आ जाओ |
अदाओं का जलवा दिखादो क जलवे बिना कुछ भी नही ||
हमें लगती है सबसे तू प्यारी क गुड़िया रानी सी |
बड़ी चंचल है शर्मीली नटखट नजाकत बिना कुछ भी नही ||
अरे प्रेम की बरसा तुम करदो पिपासा बुझती नही |
हम तो तेरे है तेरे अनुरागी अनुराग बिना कुछ भी नही ||
मेरे दिल को जो है अजीज चाँद का टुकड़ा वही |
हँसी मेरी तुम लौटा दो हँसी बिना कुछ भी नही ||
“मनोज कुमार”