कब तक चुप रहूंगी
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फिल्म – कब तक चुप रहूंगी। स्क्रिप्ट रौशन राय का
मोबाइल नंबर – 7859042461 / 9515651283
तारीक – 15 – 12 – 2021
किसीको किसी प्रकार का प्रश्न करने की जरूरत नहीं है ये मेरा आप लोगों से निवेदन है और सबने वैसा ही किया जैसा प्रिंसिपल साहब ने सबको कहा
इस बात का भनक तक राधा को नहीं लगना चाहिए की ये सब उनके वजह से हुआ है प्रिंसिपल साहब ने रानी और रीता को विशेष रूप से समझा दिये।
आज भी राधा का वही रवैया था पांच बजे सुबह उठकर कृष्णा के बांसुरी के धुन सुनकर वहां जाना और कृष्णा के साथ साथ आ जाना । राधा के आते ही रानी और रीता ने कहा कि अपना सामान और कपड़े पैक कर लो प्रिंसिपल साहब ने कहा है कि हम सब आज ही निकलेंगे अपने काॅलेज और घर के लिए
तो राधा ने कहा यूं अचानक क्या बात हुआ की सर ऐसे अचानक चलने के लिए तैयार हो गए
रानी – ये बात तो प्रिंसिपल साहब ही बता सकते हैं
रीता – पर राधा प्रिंसिपल साहब ने सबसे रिक्वेस्ट किए हैं कि कोई सवाल नही करेगा
हां अगर तुझे हमारे बात पर यकीन नही हैं तो तुम जाके पुछ सकती हो।
रानी – क्योंकि तुम हमारे काॅलेज की सबसे वेस्ट छात्र छात्राओं में से एक है इसलिए तुम जाके पुछ सकती हो पर हम लोग नहीं
राधा – देख रानी मजा मत ले और सिधी सिधी बता की माजड़ा क्या है।
रीता – कुछ नहीं है मेरी प्यारी प्यारी सहेली अगर तुमको हमारे बात पर यकीन नही हैं तो गेस्ट हाउस के और कमरे में जाकर देख लें तुम्हें सब पता चल जाएगा ।
रानी – रीता आज कल तो राधा को हम पर भी विश्वास नहीं रहा
इतने मे घुमते घुमते प्रिंसिपल साहब आ गए और वो बोले अरे राधा बेटा तुम अपना समान नहीं पैक कर रही हैं आज हम सब अपने काॅलेज और घर लौट रहे हैं
राधा – पर अभी तो पांच दिन बचा है सर
प्रिंसिपल साहब – रानी और रीता तुम दोनों इनको ये नहीं बताया कि हम सबको प्रश्न न करने की निवेदन किये हैं
रानी और रीता एक साथ हां सर हम दोनो राधा को बता चुके हैं कि सर ने निवेदन करते हुए कहा है कि कोई भी किसी प्रकार का प्रश्न नहीं करेगा
प्रिंसिपल साहब – राधा तुमने सूना
राधा – हां सर सुना
प्रिंसिपल साहब – तों बेटा अपना समान पैक कऱ लों
राधा – ठीक है सर
प्रिंसिपल साहब ने बस के ड्राइवर से कहा आप भी बस का सब कुछ चेक कर लिजिए।
तो ड्राइवर ने कहा सर सब कुछ ठीक लेकिन डिजल बहुत कम है
तो प्रिंसिपल साहब ने पैसे दिए और बोले जाइए बस में डिजल भरा लिजिए
जब बस ड्राइवर पेट्रोल पम्प पर डिजल भरवाने गया तभी कृष्णा का दोस्त भी आटो में डिजल भरवाने पेट्रोल पम्प पर पहुंचा तो संयोग से दोनों में बात चीत होने लगा तो बस के ड्राइवर ने कहा
बस ड्राइवर – आज हम लोग राम पुर से चलें जाएंगे
कृष्णा का दोस्त क्यों भाई आप सब तो पन्द्रह दिन के लिए आये थे तो पांच दिन पहले क्यों जा रहे हैं
तो बस का ड्राइवर ने कहा हमको कुछ पता नहीं पर ये फ़ैसला प्रिंसिपल साहब ने तात्काल लिए तो कुछ न कुछ बात तो जरूर है
कृष्णा का दोस्त आप सब कब तक निकलेंगे
तों बस का ड्राइवर बोला बस आधा से एक घंटा में
कृष्णा का दोस्त आटो में डिजल भरवा कर सिधा कृष्णा के पास पहुंचा
और बोला अरे कृष्णा तुम्हारे जो वो शहर वाली मैडम जी हैं वो आज सब अपने शहर जा रहें हैं।
कृष्णा चौका और बोला क्या बात करता
दोस्त – हां यार वो 100% जा रही हैं क्योंकि उनका बस ड्राइवर से हमें पेट्रोल पम्प पर मुलाकात हुआ तो उसी ने हमें सारा बात बताया कि उनका प्रिंसिपल साहब ने तत्काल ये फैसला किया और आज नाश्ता के बाद वो सब निकल जाएगा
कृष्णा – अरे मेरे भाई आज सुबह भी वो हमसे मिली और हमसे बहुत सारे बातें की लेकिन वो एक बार भी नहीं कहीं की मैं अपने शहर वापस जा रही हूं
जबकि वो मेरे तबियत के बारे में भी पुछी और वो भी कहीं की हमें ठंड में सम्भल कर रहना चाहिए सर पर लगें चोट के बारे में भी पुछी जैसे उसको मेरा चिंता था ।
दोस्त – देख लें पर मुझे लगता हैं कि वो बस ड्राइवर मुझे सच ही कहा क्योंकि वो बस के डिजल टंकी को पुरा फुल भरवाया।
ये भी तों हो सकता है जब तुम्हारे पास वो सुबह में आई हों तो उसे इस बात की जानकारी ही न हो, या फिर उसे कोई बताया ही नहीं होगा
कृष्णा – गुमसुम हो गया कि अचानक क्या हो गया जो वो सब ऐसे निकलने के लिए तैयार हो गया
फिर बोला अरे दोस्त का वज़ह हो सकता है ऐसे निकलने का
दोस्त – देख कृष्णा वजह तो साफ है कि वो तुमसे मिलने आज दस दिन से आ रही है। इस बात कि जानकारी सबको हो गया होगा इसलिए वो सब चल दिए होंगे
कृष्णा – हां यार तुम ठीक कह रहा है अभी समय कितना हुआ है
दोस्त – साढ़े नौ
कृष्णा – अरे यार नाश्ता के समय में सिर्फ आधा घंटा रह गया है। तो अब मैं राधा से नहीं मिल पाऊंगा
दोस्त – कोशिश करोगे तो मिल सकतें हो
कृष्णा – तो चलो हमें वहां पर पहुंचा दो
दोस्त – देखो कृष्णा आज हम नहीं जाएंगे क्योंकि हमारे चाचा का तबियत खराब है मैं उनको अस्पताल लेके जाऊंगा वहीं पैसा दिये हैं डिजल भरवाने के लिए
कृष्णा – तो क्या करु यार
दोस्त – देख कृष्णा मुझे जो मालूम हुआ वो मैं तुम्हें बता दिया बाकी बाद तुम क्या करोगे। सो तुम अपने समझ से ही करो
कृष्णा – हूं यूं
कृष्णा अपने मां से बोला की मां मैं थोड़े देर में आ रहा हूं
मां – कहा जा रहा है बेटा अभी तु इधर उधर मत घुम तुम्हें डाॅक्टर आराम करने को कहा है सर का चोट गहरा है
कृष्णा – हां मां तुम ठीक कह रही हों पर मैं थोड़े ही देर में लौट आता हूं अगर मैं बांसुरी बजाने सुबह न जाऊं तो तु मुझे बिस्तर से उठने न देगी
मां – पर ऐसे क्या काम है तु कह तो मैं ही कर देती हूं
कृष्णा – क्या मां तु भी
मां – ठीक है तु जा और जल्दी वापस आजा
कृष्णा – ठीक है मां कहके वहां से चला और दो चार जन से लिफ्ट मांगा पर किसीने उसे लिफ्ट नहीं दिया और कृष्णा का ध्यान समय पर भी था देखा दस यही बज गया है मैडम जी निकलने वाली होगी । वो दौड़ना शुरू किया । दौड़ते समय उसके सर से बैंड पट्टी खुल गया शरीर पसीना से भींग गया और सर के चोट से फिर खुन बहने लगा और तब तक दौड़ता रहा जब तक वोट कोठी के ग्राउंड में पहुंच नहीं गया
कृष्णा जैसे ही वहां पहुंचा की उसने देखा कि सच में सब लोग बस में बैठने लगे हैं और राधा भी अपने जगह पर बैठी है पर उसके चेहरे पर ना खुशी थी और ना उदासी वो एकदम नौर्मल थी।
कृष्णा उसके बस के पास पहुंचा तो दोनों का आंखें चार हुआं।
अब तो राधा का कृष्णा से मिलना सारे लोगों के सामने हो गया फिर भी राधा रानी और रीता के साथ बस है उतरी और देखते ही देखते सारे लोग इकट्ठा हो गए जब प्रिंसिपल साहब ने इक्कठा भीड़ देखें तो वो भी कुछ देर बाद पहुंचें
कृष्णा का हाल देखकर सारे लोग समझ गया कि कृष्णा को राधा से प्यार हो गया है
राधा – कृष्णा तुम यहां और इस हाल में
कृष्णा – हां मैडम जी मेरा आटो वाला दोस्त ने कहा कि आप सब अचानक जा रही है
राधा – हां कृष्णा हम सब वापस अपने घर जा रहें हैं
कृष्णा – मैडम जी आपने हमें कहा भी नहीं
राधा – हमें भी तुम्हारे पास से आने के बाद ही पता चला पर कृष्णा तुम्हें ऐसे हालात में नहीं आना चाहिए लगता है तुम हमसे मिलने पैदल दौड़ कर आ रहें हो
कृष्णा – हां मैडम जी बहुत लोगों से लिफ्ट मांगा पर किसीने हमें लिफ्ट नहीं दिया तों मैं आपसे मिलने दौड़कर ही आ गया
कृष्णा के सर से बहुत खुन बह रहा था जिसे देखकर राधा ने तुरंत उसे अपना दुपट्टा खुन को साफ करने लगा और कहने लगी बड़ा अजीब आदमी हो अपने जान की प्रवाह किये बीना हमसे मिलने कि क्या जरूरत था
कृष्णा – जरुरत था मैडम जी क्योंकि आखिरी मुलाकात को ही आदमी संजोकर रखता है लेकिन कृष्णा ये नहीं कह पाया कि मैडम जी हमें आपसे प्यार हों गया है और मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं इसलिए मैं आपसे मिलने इस हालत में भी आपके पास आया हूं
रानी रीता भी कृष्णा को समझाया कि तुमको इस हालत में नहीं आना चाहिए
तब तक प्रिंसिपल साहब गये और बोले क्या बात बच्चों ये नौजवान लड़का कौन है और इसका ये हालत कैसे हुआ
रानी ने प्रिंसिपल साहब को इशारा में कह दिया कि ये वही लड़का है बांसुरी वाला जिसके बारे में आपको पता चला और आप हम दोनों से पुछे थे
प्रिंसिपल साहब – अच्छा कहके कृष्णा से पुछते है
प्रिंसिपल साहब – नौजवान तुम कौन हो और ऐसी हालत में तुम यहां क्यों आए हो तुम्हें किससे मिलना है
कृष्णा बोलने लगा कि राधा उनको रोक दिया और खुद बोलने लगी
सर ये कृष्णा हैं और मैं इसके बांसुरी के धुन पर इसके पास सुबह पांच बजे जाती थी और वो बात आपको पता चला और आप यहां से तत्काल चल दिए शायद ये सोचकर कि कहीं बात और न बिगड़ जाए
राधा की बात सुनकर प्रिंसिपल साहब तो चौंक गए
राधा आगे बोली सर किसी से मिलना हमेशा प्यार ही नहीं होता किसी से मिलना हमेशा गलत संबंध नहीं होता क्या आप अच्छे आदमी से नहीं मिलते-जुलते क्या आपको कोई अच्छा लगता तो आपका मन उनसे बात करने को नहीं होता आप सब मुझे सबसे अच्छे छात्रा मानते हैं और मैं आपसे खुलकर बात करु तों क्या मैं गलत हो जाती हूं या फिर आप गलत हो जातें हैं
राधा की बात सुनकर तो सबके सब हक्का बक्का रह जाता है ।
जिस तरह आप या कोई और गलत नहीं हो सकता उसी तरह मैं भी गलत नहीं हूं।
मैं आपसे बात करना चाही पर आपने सबको मनाकर दिया की कोई प्रश्न नहीं करेगा । तो मैं कैसे भला आपसे कोई प्रश्न करतीं
आप सबको लगा होगा कि मैं कृष्णा से प्यार करके कोई लफड़ा करुंगी या फिर यही पर रह जाऊंगी पर ऐसा कुछ नहीं है । मुझे कृष्णा का बांसुरी का धुन दिल से पसंद है ये मैं अब भी कहती हूं और ये बात मैं कृष्णा से भी कही थी
क्यों कृष्णा
कृष्णा -हां मैडम जी
सर हमको भी ख्याल है मेरे पापा के इज्जत का मैं मर सकती हूं पर अपने पापा का इज्जत सारे आम उछाल नहीं सकती
राधा – खैर छोड़िए इन बातों को और फिर कृष्णा से बोली
देखों कृष्णा मैं जा रही हूं तुम भी अपना ख्याल रखना और बांसुरी बजाते रहना बहुत सुंदर बांसुरी बजाते हो, अब ना जाने जीवन के सफर में किस मोड़ पर और कैसे हालात में फिर मुलाकात होगी। अपना दुपट्टा कृष्णा के पास छोड़ दी और जाकर बस में बैठ गई फिर सभी लोगों बस में बैठ गया
प्रिंसिपल साहब को लग रहा था कि मैं राधा से न पुछ कर गलती कर दिया अगर पुछ लेता तो शायद ठीक रहता अब तो चलने में ही भलाई है
राधा बस में बैठ गई सब छात्र छात्राओं को बैठा दिये और खुद भी लड़के वाले बस में बैठ गये और बस ड्राइवर से चलने को बोलें । बस ड्राइवर बस स्टार्ट कर पो पो कर दो हाॅरन दिये और बस को बढ़ाया कृष्णा वही पर खड़े खड़े देखते रह गया राधा का दुपट्टा हाथ में लिए ।
राधा एकबार भी मुड़कर नहीं देखी और बस आंख से ओझल हो गया।
कृष्णा बहुत दुःखी हुआ वो सोचते रह गया कि मैं मैडम से आज नहीं तो कल अपने प्यार का इजहार कर लेंगे पर अब तो शायद उन्हें मैडम का तस्वीर भी नहीं मिलेगा। इज़हार करने के लिए। और कृष्णा का दिल बोल पड़ा
शायरी
इस छोटी सी मुलाकात में, अरमानों को देखा पंख लगा हुआ
यादों में तुम सदा रहोगी मेरे सपनों की दुल्हन बना हुआ
हम मुफलिस के चाहतों का कोई मोल न रहा
बता देती क्यों मुझ गरीब से तुझे प्यार न दुआ
मायुस होकर कृष्णा अपने घर लौटा तो इनके मां का कलेजा मुंह से बाहर निकल गया और वो छाति पिटने लगी
मां – बेटा ये कैसे हों गया तु मुझे कह के गया की मैं जल्दी लौट आता हूं और आया है एक घंटे में वो भी इस हाल में
कृष्णा – कुछ कहा हुआ मां बस सर का पट्टी खुलकर थोड़ा खून बह गया ।
मां का ध्यान उनके हाथ के दुपट्टा पर गया जो खुन से लाल था।
मां फिर पुछ बैठी की ये दुपट्टा किसकी है और तुम्हारे कितना खुन बह गया जो एक सफेद दुपट्टा लाल हो गया
तु सच सच बता की क्या बात है
कृष्णा – मां तु क्यों परेशान हो रही है मां मैं कुछ पल के लिए अकेले रहना चाहता हूं
मां – पर तुम्हारा तबियत ठीक नहीं है
कृष्णा- मां मुझे कुछ नहीं हुआ है इस उम्र में ये सब थोड़ा बहुत होते रहता है तु परेशान न हो मां ये चोट मुझे कुछ नहीं कर सकता।