गीत//कब जीत हमारी होगी
उत्तम खाया जाएगा तो ,
अच्छा ही सोचा जाएगा।
अच्छा सोचा जाएगा तो ,
फिर जीत हमारी ही होगी।।
उपवन से ख़ुशबू आती है ,
कीचड़ से बदबू आएगी।
गेहूँ करेगा घुन से यारी ,
खैर कहाँ फिर रह पाएगी।
दीप जले उजियारा होगा ,
रात नहीं फिर भारी होगी।
गीत ग़ज़ल बन जाओ यारो ,
हर सरग़म फिर प्यारी होगी।।
मंदिर मस्ज़िद भ्रम हैं सारे ,
भगवान मनों में होता है।
सत्य यही है पर दूर रहें ,
अचरज मुझको तो होता है।
मन मेंं भय जब बढ़ जाता है ,
साबित तब लाचारी होगी।
जोश भरा हो मन में समझो ,
मौत मिले खुद्दारी होगी।।
“प्रीतम” सागर तो खारा है ,
पर नदियाँ जल मीठा देती।
खारेपन के स्वाद बिना पर ,
रोटी मन को क्या हर लेती?
सुखद प्रकृति की हर रुत होती ,
कृति देख मनोहारी होगी।
भेद लिए है मानव मन में ,
समझो इक बीमारी होगी।।
उत्तम खाया जाएगा तो ,
अच्छा ही सोचा जाएगा।
अच्छा सोचा जाएगा तो ,
फिर जीत हमारी ही होगी।।
#आर.एस. ‘प्रीतम’