कब आओगे
विरह वेदना प्रबल
हृदय मध्य है अनल
जिह्वा भी विकल विकल
नयन भी सजल सजल
प्रेम के संकेत से कब हमे बुलाओगे
कब आओगे कब आओगे कब आओगे
हो गए कृषकाय हम
हो गये मृतप्राय हम
अब न राह सूझती
हो गये निरुपाय हम
ओष्ठ-रस से प्राण देके कब हमें जिलाओगे
कब आओगे कब आओगे कब आओगे