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4 Feb 2021 · 1 min read

कब आएगी सुखद बहार

तरस गए देखें धूप,
कैसे दिन ये आये ।
काम की व्यस्तता,
अब न मुझको भाए ।।

कुंठित हुआ यह मन,
अवरूद्ध हुए विचार ।
हर पल यही सोचता,
कब आए सुखद बहार ।।

आने को बसन्त है,
हृदय मेरा भयभीत ।
किसको सुनाऊँ पीड़ा,
सब सुनते मधुर गीत ।।

मैं बेबस देख रहा हूँ,
गुजरता समय अनमोल ।
वंचित हूँ सुहावनी शाम का,
पराए हुए मेरे मधुर बोल ।।

Language: Hindi
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