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3 Oct 2021 · 1 min read

आखरन क कबरगाह

उ सबद… आखर….
ही अपन
सारथक परभाव
छोडि पाने मे
सक्षम रहल
भाइ लोगन …

जोउ स्फुटित होय
तोहर
अनतरमन सन …
भीतर क
आखरन प्रवाह सन …

अनयथा इ सभ
रचनाये उ सभ
आखरन क कबरगाह
ही त छी ……।
•••

Language: Maithili
2 Likes · 288 Views
Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
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