कपूत है या कैसा ..
सिद्दू का चरित्र यूँ समझ लो .
जेसे हो बिन पेंदी का लौटा ।
समझते थे ज़िसको क्या हम ,
निकला. यह सिक्का खोटा ।
bjp को केक्यी. बना दिया ,
और congres को कौशल्या .।
पूत यह कपूत स्वयं निकला ।
और माता पर इलजाम लगा दिया ।
धिक्कार है ….
अब ठौको ताली ..