कपास के खेत में
कपास के खेत में
जगमगाती दुधिया रौशनी
और वे अनगिनत गिन्नियां
जो हर मौसम चलती है
ये रात मील का पत्थर है
उस सुबह के लिए ,
जो नया सूरज लाएगी
सुनहरी किरणों से
लहलहा उठेगा ,
ये मिट्टी का
महल,इसी की चौखट
पर तो सारी रात मैंने
अपनी ख्वाहिशें जलाकर
उम्मीद रखी है,
शायद तब कोई
लम्हा मुझे इस से
पार जाने की इजाजत
दे दे।”