कन्हैया आओ भादों में (भक्ति गीतिका)
कन्हैया आओ भादों में (भक्ति गीतिका)
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(1)
मिटाने ताप जग का तुम कन्हैया आओ भादों में
अधर पर प्रेम की बंसी बजाने लाओ भादों में
(2)
हुए तुम कृष्ण मनमोहन चुराईं मटकियाँ माखन
हमारे घर भी मटकी फोड़ माखन खाओ भादों में
(3)
बजी जब बाँसुरी मोहन तो सुधबुध देह खोती थी
वही मस्ती वही यमुना का तट दिखलाओ भादों में
(4)
सुदर्शन चक्रधारी तुम तुम्हीं गिरधर कहाते हो
बनो तुम सारथी रण में हमें जितवाओ भादों में
(5)
सुनाकर वीर अर्जुन की जो दुविधा तुमने सुलझाई
सुनें हम और तुम गीता वही फिर गाओ भादों में
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 999 76154 51