#कन्यापूजन
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★ #कन्यापूजन ★
“आज तुमने पाठशाला में एक बच्चे को पीट दिया?”
“चूकवश उसे लग गई।”
“और दूसरी बार तुमने फिर उसकी पिटाई की?”
“चूकवश हो गई।”
“अब पूरी बात बताओ, हुआ क्या?”
“कल कन्यापूजन था।”
“नवरात्र के समापन और किसी शुभ कार्य के आरंभ में कन्यापूजन होता ही है।
“आगे बोलो।”
“माँ ने बताया कि कन्याएं देवी होती हैं. . .”
“आपकी माताजी ने यह नहीं बताया कि सूर्पनखा कौनसी देवी का अवतार थी।”
“सूर्प जैसे नखों वाली हेमलता के पति की हत्या उसके भाई रावण ने की थी।”
“तुमने पिटाई क्यों की?”
“उसने अकारण ही तान्या के बाल खींचे थे।”
“जन्माष्टमी के दिन तुम्हारे साथ रुक्मण पटरानी बनके जो खड़ी थी, वही तान्या है न।”
“जी, चाचा जी।”
“बेटा, चाचा के रहते तुम्हें किसी से डरने की आवश्यकता नहीं है।”
“उस बालक के दो चाचा हैं। उसे पाठशाला छोड़ने और लिवाने आया करते हैं।”
“अच्छा यह बताओ, आपकी माताजी ने और क्या बताया आपको?”
“रामजी के कोई चाचा नहीं थे।”
“तो फिर?”
“रामजी के चाचा होते तो वो भी सीतामय्या जैसे निर्भय होते।”
“अरे, ऐसे कैसे?”
“जब रामजी वन को गये तब अपने अनुज और अर्द्धांगिनी को साथ लेकर गये। लेकिन, जब मय्या सीताजी वन को गईं तो किसीको साथ नहीं लिया।”
“यदि उस बालक ने फिर तान्या के साथ अभद्रता की, तब?”
“हमें कन्यापूजन करना चाहिए।”
“उससे क्या होगा।”
“देवी माँ हमें बल, बुद्धि और विद्या देती हैं।”
“यह सब तो हनुमानजी भी दिया करते हैं।”
“चाचाश्री ! इतनी-सी बात आपको ज्ञात नहीं है, हनुमानजी की माता अँजनि भी देवी थीं। उन्हीं की कृपा से हनुमानजी हम पर कृपा बरसाया करते हैं।”
“और वो सूर्प से . . . !”
“चाचाजी, आपने ही तो दिखाया था उस दिन, इसरो ने भेजा है सौरयान!”
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०१७३१२