Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jul 2023 · 4 min read

कन्यादान

कन्यादान

हैलो श्यामा…. फोन पर अपनी पत्नि श्यामा देवी को कॉल करके जगमोहन जी बोले। उधर सामने से आवाज आई जी बोलिए… आज आप अभी तक घर नहीं आए सब ठीक तो है ना, कहीं आपकी वो खानदानी साइकल आज फिर खराब तो नहीं हो गई। एक ही लाइन में श्यामा देवी कई सवाल कर गई तो जगमोहन ने कहा अरे भाग्यवान रुको जरा तुम कुछ बोलने दो तब तो बोलूं।

इस पर श्यामा देवी बोली जी कहिए, तब जगमोहन ने बताया कि वो आज मिल में ओवरटाइम कर रहा है इसलिए घर देर से आएगा या फिर यहीं पर कुछ खाकर सो जाएगा। ये भी न इनका तो अब रोज रोज का हो गया है, मन ही मन बड़बड़ाते हुए श्यामा देवी बोली।

जगमोहन शहर के कपड़े की मिल में मुलाजिम था और बरसों से वहां पूरी मेहनत और ईमानदारी से काम करता आ रहा था। उसके परिवार में श्यामा देवी और उसकी इकलौती बेटी रमा ही थे लेकिन छोटा परिवार होने के बाद भी जगमोहन को अपनी बेटी के हाथ पीले करने के खर्चों की चिंता में रात दिन मेहनत करनी पड़ती थी और वो सहर्ष करता भी था।

बेटी के जन्म के समय से ही जगमोहन उसे अच्छी शिक्षा देने और फिर उसके विवाह के लिए पैसों की कमी न हो इसके लिए बहुत मेहनत करता था। उसने अपनी बेटी को मेट्रिक तक पढ़ा लिया था और अब उसे उसका कन्यादान करने की चिंता थी। उसने पास वाले शहर के गुप्ता जी से उसके रिश्ते की बात भी की थी जिनका लड़का रमेश बैंक में क्लर्क था और किसी काम से बैंक आने जाने के समय जगमोहन ने उसे देखकर पसंद किया था अपनी लाडली के जीवनसाथी के रूप में।

जगमोहन ने गुप्ता जी से रमा और रमेश के रिश्ते की बात भी की, जिस पर उन्होंने भी लड़की के अच्छे चाल ढाल और गुणों को देखकर हां कर दी और दो महीने बाद की तारीख भी तय कर दी। अब जगमोहन पहले से और ज्यादा मेहनत करने लगा, ओवरटाइम और कई बार तो रात दिन काम करके वो अपनी लाडली बेटी के हाथ पीले करने के लिए पैसे जुटाने और शादी की तैयारियां करने में लग गया था।

अब निर्धारित दिन में रमा बिटिया की शादी शुरू हुई पहले दिन में हल्दी,तेल और सारी रस्में पूरी की गई, दूसरे दिन रमा की बारात आनी थी और उसके लिए जगमोहन ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। बारातियों के लिए अच्छे खान पान, भवन से लेकर दहेज के सामान खरीदने में भी उसने अपनी हैसियत से काफी ज्यादा खर्च किया था भले ही इसके लिए उसने अपनी जिंदगी भर की कड़ी मेहनत की कमाई की जमापूंजी के साथ साथ अपना घर भी गिरवी रखा था।

बारात आई और उनकी खूब खातिरदारी की गई उन्हें बढ़िया नाश्ता और उसके बाद भोजन भी कराया गया। इसके बाद मण्डप में पंडित जी ने आवाज लगाई यजमान कन्या को बुलाइए और फिर श्यामा देवी ने अपनी लाडली को लाकर मण्डप में बैठाया। फिर मंत्रोच्चार और पूजन के बाद फेरों का समय आया और दूल्हा दुल्हन फेरों के लिए खड़े हुए। लेकिन तभी सामने से गुप्ता जी ठहरो की जोरदार आवाज के साथ उठ खड़े हुए थे।

अब उस भवन में सभी की नजर गुप्ता जी पर थी जिनके पास जगमोहन पहुंच चुका था और शंकित नजरों से देखकर गुप्ता जी से पूछ रहा था। क्या हुआ समधी जी तो इस पर गुप्ता जी ने मुंह बनाकर जवाब दिया भई ये क्या बात हुई हमारा बेटा बैंक में क्लर्क है इतनी अच्छी तनख्वाह है और आपने एक गाड़ी भी नहीं दी है उसे। इस पर जगमोहन की आंखें भर आई और वो बोला समधी जी मैने अपनी हैसियत से कहीं ज्यादा किया है अब भला गाड़ी के लिए रुपए कहां से लाता।

जगमोहन की बात सुनकर गुप्ता जी की त्योरियां चढ़ गई और वो तमतमाकार बोले ऐसे कैसे नहीं से सकते, जब इतना अच्छा दूल्हा मिला है तो उसके लायक दहेज भी देना ही पड़ेगा। जगमोहन अब हाथ जोड़ते हुए बोला गुप्ता जी ऐसा मत करिए मैं बाद में और जी तोड़ मेहनत करके गाड़ी खरीदकर देने की पूरी कोशिश करूंगा।

कोशिश नहीं अभी के अभी गाड़ी लाइए तब फेरे होंगे नहीं तो अपनी बेटी के लिए कोई और दूल्हा देख लो। गुप्ता जी के मुंह से ऐसे कड़वे बोल सुनकर जगमोहन गिड़गिड़ाने लगा लेकिन उसके आंसुओं का उसके पत्थरदिल में कोई भी असर नहीं पड़ा।

अब तक सारे मेहमान और बाराती जो जगमोहन की खून पसीने की कमाई का दावती खाना खा रहे थे उन्हें भी उस पर तरस नहीं आया और वो ये सारा तमाशा चुपचाप देख रहे थे। गुप्ता जी जगमोहन और उसके परिवार को उनके हाल पर छोड़कर अपने बेटे को लेकर जाने लगे और जगमोहन अपने परिवार के साथ उन्हें जाता हुआ देख रहा था। जगमोहन की नजरें कभी जाते हुए मेहमानों को देखती तो कभी आंसू बहाती अपनी बेटी को।

अपनी लाडली बेटी के कन्यादान के इंतजाम के लिए उसने जिंदगी भर रात दिन एक करके जी तोड़ मेहनत किया था, वो सबकुछ आज एक पल में ही व्यर्थ हो गया और दहेज लोभियों के कारण उसका कन्यादान करने का सपना टूटकर बिखर गया।

✍️ मुकेश कुमार सोनकर
रायपुर,छत्तीसगढ़

1 Like · 287 Views

You may also like these posts

बिना कुछ कहे
बिना कुछ कहे
Harminder Kaur
2815. *पूर्णिका*
2815. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
- परिंदे कैद नही किए जाते -
- परिंदे कैद नही किए जाते -
bharat gehlot
जिंदगी और मौत (कविता)
जिंदगी और मौत (कविता)
Indu Singh
"जवाब"
Dr. Kishan tandon kranti
कर लो कभी तो ख्बाबों का मुआयना,
कर लो कभी तो ख्बाबों का मुआयना,
Sunil Maheshwari
दरवाजे
दरवाजे
पूर्वार्थ
...........
...........
शेखर सिंह
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
ज्योतिर्मय
ज्योतिर्मय
Pratibha Pandey
खाऊ नेता
खाऊ नेता
*प्रणय*
एक अजीब कशिश तेरे रुखसार पर ।
एक अजीब कशिश तेरे रुखसार पर ।
Phool gufran
सर्द आसमां में दिखती हैं, अधूरे चाँद की अंगड़ाईयाँ
सर्द आसमां में दिखती हैं, अधूरे चाँद की अंगड़ाईयाँ
Manisha Manjari
इतना आसां नहीं ख़ुदा होना..!
इतना आसां नहीं ख़ुदा होना..!
पंकज परिंदा
किसी से भी
किसी से भी
Dr fauzia Naseem shad
*एकांत का सुख*
*एकांत का सुख*
ABHA PANDEY
सत्य
सत्य
Mahesh Jain 'Jyoti'
Love's Test
Love's Test
Vedha Singh
The Present War Scenario and Its Impact on World Peace and Independent Co-existance
The Present War Scenario and Its Impact on World Peace and Independent Co-existance
Shyam Sundar Subramanian
कैसा कलियुग आ गया
कैसा कलियुग आ गया
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
बिन पानी के मर जायेगा
बिन पानी के मर जायेगा
Madhuri mahakash
चाँद
चाँद
Davina Amar Thakral
नवरात्रि
नवरात्रि
Mamta Rani
अति गरीबी और किसी वस्तु, एवम् भोगों की चाह व्यक्ति को मानसिक
अति गरीबी और किसी वस्तु, एवम् भोगों की चाह व्यक्ति को मानसिक
Rj Anand Prajapati
आत्मबल
आत्मबल
Shashi Mahajan
आल्ह छंद
आल्ह छंद
Godambari Negi
हम कैसे कहें कुछ तुमसे सनम ..
हम कैसे कहें कुछ तुमसे सनम ..
Sunil Suman
"मनुष्य की प्रवृत्ति समय के साथ बदलना शुभ संकेत है कि हम इक्
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
*जो भी अपनी खुशबू से इस, दुनिया को महकायेगा (हिंदी गजल)*
*जो भी अपनी खुशबू से इस, दुनिया को महकायेगा (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
क्या मिल गया तुझको
क्या मिल गया तुझको
Jyoti Roshni
Loading...