कन्यादान क्यों और किसलिए [भाग २]
फिर क्यों ऐसा वो दिन आया,
जब आपने मुझको कर दिया पराया।
बेबुनियादी रस्मों के कारण,
आप ने कर दिया मेरा दान।
एक ही झटके में आपने पापा ,
इस जान का ले लिया प्राण।
कन्यादान मेरा करके पापा,
कर दिया मुझको बेजान।
आप ने मुझको दान दे दिया ,
पति ने ले लिया दान।
इन सब रस्मों में पापा ,
मैं बनकर रह गई एक सामान।
पहले आपका नाम लगाती,
अब पति का नाम ।
मेरी पहचान कहाँ है पापा ,
कहाँ रहा मेरा स्वाभिमान।
आप मुझे बताओं पापा
मेरा अस्तित्व कहाँ है
क्या मैं, मैं अब रह गई।
क्या मुझ पर अधिकार मेरा।
~अनामिका