“कद्र “
“कद्र ”
” कद्र ” करनी है तो ” जीते जी ” करें ” मरने के बाद तो ” पराए ” भी रो देते हैं ….
आज ” जिस्म ” मे ” जान ” है तो देखते नही हैं..” लोग ” जब ” रुह ” निकल जाएगी तो ” कफन ” हटा हटा कर देखेंगे,
किसी ने क्या खूब लिखा है ” वक़्त” निकालकर … ” बाते ” कर लिया करो “अपनों से ” अगर ” अपने ही ” न रहेंगे तो ” वक़्त ” का क्या करोगे … ”
गुरुर ” किस बात का .. ” साहब ” आज ” मिट्टी के ऊपर तो कल ” मिट्टी के नीचे