कदीमी याद
कदीमी याद
कोई कदीमी
याद …………
पलभर में चिपका देती
धीर-गंभीर आनन पर
स्माईली स्टीकर।
रुला दे हंसते-हंसते,
हंसा दे रोते-रोते।
कोई कदीमी
याद ……….
छा जाए मन पर
निराशा बन कुहासा।
इक ऐसा फ़साना
न रोना न मुस्काना।
तील बने ताड़ सी
आंसुओं की बाढ़ सी।
यादों का इतिहास
संवेदी आभास।
संगीता बैनीवाल