कदर करो
कदर करो
तीन फरिश्ते इस दुनियां में,
कदर करो।
धरती के भगवान ये सारे,
कदर करो।
प्रथम फरिश्ता अपनी माता,
जो जग में हमें लाती है।
दूध पिलाती लोरी गाती,
थपकी दे सुलाती है।
खाना पीना चलना फिरना,
मां ही हमें सिखाती है।
मिट्टी की छोटी लोई को,
मानव पूर्ण बनाती हैं।
नहीं उऋण कोई भी माँ से,
कदर करो।
पिता भी है नायाब फरिश्ता,
कंधे पर टहलाता है।
उंगली पकड़ के राह दिखाता,
बाधा से टकराता है।
वह निर्धन हो तब भी हमको,
सब साधन दिलवाता है।
बच्चों की मुस्कान की खातिर,
खुद गिरवीं हो जाता है।
माता धरा तो पिता गगन है,
कदर करो।
अक्षर अक्षर ज्ञान बताता,
गुत्थी को सुलझाता।
भीतर बाहर अन्धकार जो,
क्रम से दूर भगाता।
निज समान कर देता हमको,
पन चानन करवाता।
सतगुरु नहीं है कम ईश्वर से,
ब्रम्ह दीदार कराता है।
गुरु समान नहीँ दाता कोई,
कदर करो।
तीन फ़रिश्ते न हो जग में,
न वज़ूद रह पाएगा।
जितना बने करो तुम सेवा
तभी सफल कहलयेगा।
ये रूठे तो जीना मिथ्या,,
कुछ भी हाथ न आयेगा।
ये प्रसन्न तो मिले बुलन्दी,
भाग्य से ज्यादा पायेगा।
इनकी एक दुआ है काफी,
कदर करो।
सतीश सृजन लखनऊ.