कदम बढ़ाकर मुड़ना भी आसान कहां था।
कदम बढ़ाकर मुड़ना भी आसान कहां था।
हांथ मिलाकर जुड़ना भी आसान कहां था।।
आंखों में सपने भरकर के पंख पसारे।
आसमान में उड़ना भी आसान कहां था।।
महिला दिवस मनाना भी आसान कहां था।
दर्द छुपा मुस्काना भी आसान कहां था।।