#कथावार्ता
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★ #कथावार्ता ★
उसके मन कुछ और मेरी चाह और है
आरतीविधान अलग और राह और है
पहचानती हैं हाथ मेरे मंदिर की घंटियाँ
गिरके न उठना पलकों का निबाह और है
जलवाह निकले श्याम श्याम प्रेमदान को
धरती भिगो चुके का अभी गात गौर है
हिरदेनगर बस रहीं अवैध बस्तियाँ
समय सयाना साथ नहीं दूजे राजा और है
उसकी यह चाह आँखें हों धरतीलगी हुई
मेरुदंड सीधा रहे इक अपराध और है
कथा कहेंसुनें दितिअदिति के बेटों की
अपनी कथा कहे कोई तब बात और है
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२