कथानायक
कथानायक जैसे जी उठूं।
कथानायक जैसे पहले ही मौत जीवन जी लूं।
कैसा रहेगा येअर्पण मेरे भावों का मैया यशोदा।
कैसा रहा समर्पण मेरे नंद बाबा,अगर ले आऊं सचमुच
तेरी मायाबेटी,माया देते तब नंद लालामिले।
तो कहती हूं बाबा,
ले आती हूं तेरे तेरी कन्हैया मेरेभैया को।
अगर सचमुच ऐसा हो बाबा तेरी बिटिया जी जाए।
पुराने जमाने में बिटिया ससुराल चली जाती है ना फिर तो तुम अकेले हो जाते बाबा।
इसीलिए सिर्फ कन्हैया रहा बाबा भैया रहा बाबा।
उनकी माया बहन मायावी तन,कंस के पटकने से लील हो गई।
इसलिए आज कहती हूं बाबा, मैया, बाबा कन्हैया यानि भैया,
तेरी जरूरत फिर से भारत को, मैं तैयार हूं ।
तेरे अवतार के लिए।
एक भगिनी, निवेदिताआई थी कभी भारत।
पूरे-पूरे विश्व – विश्व तेरी ,विवेकानंद की है जरूरत।
_डॉ सीमा कुमारी ,बिहार, भागलपुर, दिनांक27-6-022की मौलिक एवं स्वरचित रचना जिसे आज प्रकाशित कर रही हूं।