कतरा कतरा जी रही है वो
गजल :- कतरा कतरा जी रही है वो-:
कतरा कतरा जी रही है वो
दर्द-ए-आंसू पी रही है वो
त्याग करके घर बनाती रही
उसी घर में घाव सी रही है वो
भावना के आंचल में पली थी कभी
आज खुद की कहानी कह रही है वो
प्यार ऐसा किया मां ने सबकुछ दिया
हर खुशी अपनी वारती रही है वो
टूटकर हर कदम पे खुद बिखरती रही
फिर भी बच्चों को अपने संवारती रही है वो
-सोनिका मिश्रा