जीवन एक सुंदर सच्चाई है और
*खत आखरी उसका जलाना पड़ा मुझे*
जिस काम से आत्मा की तुष्टी होती है,
अंधभक्तो अगर सत्य ही हिंदुत्व ख़तरे में होता
अहंकार और अधंकार दोनों तब बहुत गहरा हो जाता है जब प्राकृतिक
इन फूलों से सीख ले मुस्कुराना
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
सुलगती आग हूॅ॑ मैं बुझी हुई राख ना समझ
कहाॅं तुम पौन हो।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
जिंदगी जी कुछ अपनों में...
“ फौजी और उसका किट ” ( संस्मरण-फौजी दर्शन )
तुमने कितनो के दिल को तोड़ा है
मैंने उनका जाना भी देखा है जिनके जानें जाती थी जान अब मुझे क
जख्मो से भी हमारा रिश्ता इस तरह पुराना था
अब तुझे जागना होगा।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया