कठिन परीक्षा सत्य की
“कठिन परीक्षा सत्य की”
कठिन परीक्षा सत्य की, समझो मत आसान।
हरीश्चंद्र को अंत तक, देने पड़े प्रमाण।।
कठिन परीक्षा सत्य की, देकर पाया मान।
धरा समाई जानकी, सह दुष्कर अपमान।
कलयुग में दानव फलें, लगा झूठ दरबार।
कठिन परीक्षा सत्य की, करे झूठ पर वार।।
सत्य जहाँ फूले फले, वहाँ मिले जन त्राण।
कठिन परीक्षा सत्य की, न्याय करे कल्याण।।
झूठों का भ्रम टूट गया, हुई सत्य की जीत।
कठिन परीक्षा सत्य की, मिली सफलता मीत।।
कठिन परीक्षा सत्य की, होती बारंबार।
जीवन पथ संघर्षमय,करो विपद संहार।।
कठिन परीक्षा सत्य की, देते सदा गरीब।
कंटक बिछे कदम-कदम, कोई नहीं करीब।।
कठिन परीक्षा सत्य की, देती सबको मान।
कलई खोलती झूठ की, कहते संत सुजान।।
कौआ मोती चुग रहा, नहीं छद्म का छोर।
कठिन परीक्षा सत्य की, झूठ, कपट चहुँ ओर।।
डॉ. रजनी अग्रवाल ‘वाग्देवी रत्ना’
वाराणसी (उ. प्र.)