कठिन पथ पर
गीतिका
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हमेशा राम का हम नाम लेंगे।
कठिन पथ पर नहीं विश्राम लेंगे।
अकेले राह कैसे कट सकेगी।
किसी का हाथ भी हम थाम लेंगे।
स्वयं जीवन सँवरता है यहां पर।
सभी को सँग सुबह से शाम लेंगे।
सभी से स्नेह करना है जरूरी।
हृदय में भावना निष्काम लेंगे।
बढ़ेंगे राह सेवा की अहर्निश।
सभी को साथ आठों याम लेंगे।
हमेशा हम चुनेंगे राह अपनी।
नहीं सर पर गलत इल्जाम लेंगे।
परिस्थितियां अगर विपरीत होंगी।
करेंगे श्रम सुखद परिणाम लेंगे।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य