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17 Jun 2024 · 1 min read

कठपुतली

कुछ सहमा- सहमा सा कुछ दबा – दबा ,
कुछ भीतर ही भीतर लड़ता हुआ ,

अंतरद्वन्द से मुक्त होकर ,
मुखर होने का प्रयास करता हुआ ,

अभिव्यक्त होने का साहस जुटाता हुआ .
भविष्य के प्रति चिंतित होता हुआ,

कभी स्वआकलन कर आश्वस्त होता हुआ ,
कभी सर्वत्र व्याप्त विसंगतियों में तर्क ढूंढता हुआ ,

यथार्थ का आवरण ओढ़े ,
कल्पना लोक में विचरण करता हुआ ,

नियती का चक्र मानकर ,
परिस्थितियों से समझौता करता हुआ ,

आज का मानव वर्तमान त्रासदी को झेलता हुआ ,
जीवन के रंगमंच पर कठपुतली बनकर रह गया है।

Language: Hindi
20 Views
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