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16 Jan 2021 · 1 min read

कठपुतली हैं अजर अमर

कठपुतली हैं अजर अमर

बीते जमाने में
होता था खेल कठपुतली का
भले ही हो गई लुप्त
वह कला
वो खेल-तमाशे
वो तमाशगर
वो तमाशबीन

लेकिन कठपुतली हैं अजर-अमर
पहले थीं वो निर्जीव
अब हैं सजीव

कठपुतली भी सजीव
तमाशगर भी सजीव
तमाशबीन भी सजीव

अब तमाशगर
हिलाता है डोर
इलैक्ट्रिक मिडीया से
प्रिंट मिडीया से
सोशल मिडीया से
नाचने लगती हैं
दुनियाभर की कठपुतलियां

कठपुतली हैं अजर-अमर
नाचती रही हैं
नाच रही हैं
नाचती रहेंगी

-विनोद सिल्ला©

Language: Hindi
1 Like · 3 Comments · 323 Views
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