खो गए वो दिन पुराने
खो गए है अब वो दिन पुराने,
जब परिंदे चहचहाते थे,
जब पेड़ों की छांव में हम सुकून पाते थे,
जब साथ में खेलते थे, गाते थे,
और दिल खोलकर हंसते थे,
जब जिंदगी एक हसीं गीत थी,
पर आज सब बदल गया है,
अब तो जिंदगी की राहों में,
सब भाग रहे भागम भाग में,
दूरियाँ बढ़ गईं हैं,
दिलों में तन्हाई बस गई हैं,
चारों ओर केवल छाया हुआ है,
शोरगुल, एकाकीपन
और रह गए वो दिन पुराने
सिर्फ़ किस्सों में, यादों में, कहानियों में।
– सुमन मीना (अदिति)