कटा टिकट नेता जी का.. कबीरा सारा रा रा रा कबीरा सारा रा रा रा
कटा टिकट नेता जी का वो रहे घोंटते भंग
हार गए लड़ने से पहले राजनीति की जंग
कबीरा सारा रा रा रा कबीरा सारा रा रा रा
***
चेहरे से हो गए उड़न छू होली के सब रंग
धंसी ज़मी पैर के नीचे उतर गई जब भंग
कबीरा सारा रा रा रा कबीरा सारा रा रा रा
***
नारे सब कर गए किनारे ढोल नगाड़ा बन्द
हाथ- पैर ढीले-ढाले और जुबां हो गई तंग
कबीरा सारा रा रा रा कबीरा सारा रा रा रा
***
देख दशा नेता जी की हैरान और सब दंग
इधर- उधर वो रहे घूमते जैसी कटी पतंग
कबीरा सारा रा रा रा कबीरा सारा रा रा रा
***
बगीचा वीरान हो गया सब उड़ गए विहंग
आसमान से गिरे धरा पे टूट गया सब दंभ
कबीरा सारा रा रा रा कबीरा सारा रा रा रा
***
पड़े पलंग पर नेता जी तो भुला रहे वो गम
ऐरा-गैरा नत्थू – खैरा हैं छोड़ गए सब संग
कबीरा सारा रा रा रा कबीरा सारा रा रा रा
***
जिस पे खड़ी इमारत रहती टूट गया स्तंभ
मिला दिया मिट्टी में सारा फूट पड़ा वो बम
कबीरा सारा रा रा रा कबीरा सारा रा रा रा
***
महाकष्ट नेता जी का हो रहा नहीं जो कम
निकल गई सारी ताकत फूल गया सब दम
कबीरा सारा रा रा रा कबीरा सारा रा रा रा
***
धोखा मिला उसी से खाई जिसकी सौगंध
काम न आया कोई भी जितने किए प्रबंध
कबीरा सारा रा रा रा कबीरा सारा रा रा रा
***
जो महका था फूलों जैसा अब आई दुर्गंध
इसीलिए नेता जी ने कर लिए नए अनुबंध
कबीरा सारा रा रा रा कबीरा सारा रा रा रा
***
नीयत बड़ी इनकी है खोटी बुद्धि रहे उतंग
चाल-ढाल भाषा बोली है सभी हुआ बेढ़ंग
कबीरा सारा रा रा रा कबीरा सारा रा रा रा
***
बस्ती के अन्दर जिसका वर्जित रहा प्रवेश
घुसा छिछोरा राजनीति में ले साधु का वेष
कबीरा सारा रा रा रा कबीरा सारा रा रा रा
***
बार-बार सब मिल बोले दिल्ली है अब दूर
मन मसोस के पड़ा ये कहना खट्टे हैं अंगूर
कबीरा सारा रा रा रा कबीरा सारा रा रा रा
***
होली में नेता जी का ये उमड़ पड़ा अनुराग
वो तो गरीब के मेहरारु से खेल रहें हैं फाग
कबीरा सारा रा रा रा कबीरा सारा रा रा रा
***
– रामचन्द्र दीक्षित ‘अशोक’