कजा से जो हमेशा ही लड़ा है
कजा से जो हमेशा ही लड़ा है ।
उसी में फूल जीवन का खिला है ।।
चलो,अमराई की ठंडक मिलेगी ,
नदी के पार कच्चा रास्ता है ।।
हवा से तेज चलती जो हवा है ।
वही तो भेजती उसको सदा है ।।
रोग से हो जाए उल्फ़त ग़र तेरी,
उसी के बाद आएगा ख़ुदा है ।।
– ईश्वर दयाल गोस्वामी ।