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5 Sep 2021 · 1 min read

कज़ा से निकाह

निभा चुके तुझसे अब तक बहुत ए ज़िंदगी ,
अब मौत की गोद में जाकर ही मिटेगी तश्नगी।

निकाह होगा हमारा क़ज़ा से जब तुम देखना,
पैरहन चाँदनी सा पहनकर मेरी रूह सजेगी ।

चाँद -सितारों सी डोली जैसे जगमग जनाज़े में,
दुल्हन बनी मेरी सजीली रूह मुस्कुराएगी ।

तेरे साथ तो थी जमाने की ठोकरें औ ज़िल्लत ,
और चैन -ओ -सुकून का तोहफा क़ज़ा हमें देगी ।

चले जाएंगे सदा के लिए तुझसे हम रुसवा होकर ,
फिर न कभी दुनिया -ए -चमन में वापसी होगी । …

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