कज़ा से निकाह
निभा चुके तुझसे अब तक बहुत ए ज़िंदगी ,
अब मौत की गोद में जाकर ही मिटेगी तश्नगी।
निकाह होगा हमारा क़ज़ा से जब तुम देखना,
पैरहन चाँदनी सा पहनकर मेरी रूह सजेगी ।
चाँद -सितारों सी डोली जैसे जगमग जनाज़े में,
दुल्हन बनी मेरी सजीली रूह मुस्कुराएगी ।
तेरे साथ तो थी जमाने की ठोकरें औ ज़िल्लत ,
और चैन -ओ -सुकून का तोहफा क़ज़ा हमें देगी ।
चले जाएंगे सदा के लिए तुझसे हम रुसवा होकर ,
फिर न कभी दुनिया -ए -चमन में वापसी होगी । …