कजरी
कजरी
पियवा चलौ चली वोसरवा रिमझिम पड़े फुहरवा नाय
नभ में श्याम घटा घन छाए
बिजुरी चमक चमक डरवाए
धूमिल होत कजरवा नाय रामा
धूमिल होत कजरवा नाय
पियवा चलौ चली वोसरवा
रिमझिम पड़े फुहरवा नाय
सनन सनन पुरवइया डोलै
तन में प्रेम काम रस घोलै
चढ़तै जात जहरवा नाय रामा
पियवा चलौ चली बोसरवा
रिमझिम पड़े फुहरवा नाय
बूंद पड़े पिया नींद न आवै
ठंडी बयरिया मन अलसावै
उड़ उड़ जाए अंचरवा नाय रामा
पियवा चलौ चली वोसरवा
रिमझिम पड़े फुहरवा नाय
प्रीतम हमरी मानौ बतिया
बहिरे बैठि न काटौ रतिया
करै मनुहार सिंगरवा नाय रामा
पियवा चलौ चली वोसरवा
रिमझिम पड़े फुहरवा नाय
पियवा०—–
प्रीतम श्रावस्तवी
श्रावस्ती (उ०प्र०)