कछु मतिहीन भए करतारी,
कछु मतिहीन भए करतारी,
राम विरोध करहिं दरबारी ।
नहिं कछु सूझत उन्हहिं गोसाई,
करहिं विरोध नहाइ नहाई ।
✍️ अरविन्द त्रिवेदी
कछु मतिहीन भए करतारी,
राम विरोध करहिं दरबारी ।
नहिं कछु सूझत उन्हहिं गोसाई,
करहिं विरोध नहाइ नहाई ।
✍️ अरविन्द त्रिवेदी