कच्चा-हाउस 【बाल कहानी】
कच्चा-हाउस 【बाल कहानी】
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बंद मोहल्ले में पतली गलियाँ थीं। सैकड़ों साल पुराना मोहल्ले का ढाँचा था । पुराने तरह के मकान बने हुए थे। रास्ता बस इतना था कि रिक्शा मजे से आ जाती थी । जब से कार का चलन हुआ ,वह बड़ी मुश्किल से मोहल्ले के अंदर आ पाती थी । आने के बाद फिर और कुछ निकलने के लिए जगह नहीं बचती थी ।
वैसे तो मोहल्ले में पच्चीस-तीस घर होंगे। सभी घरों में एक-दो बच्चे जरूर हैं। लेकिन उनका आपस में मिलना सिवाय गली से निकलते समय हाय-हेलो करके हो जाने के अतिरिक्त और कुछ नहीं था। एक दूसरे के घरों में जाकर बैठने का रिवाज कम ही था । खेलने के लिए जगह भला अब किसके घर में बची थी ? पुराने समय के बड़े-बड़े आँगन अब लिंटर पड़ने के बाद छोटे-छोटे कमरों में बदल चुके थे ।
इसी बीच एक घटना हुई । एक सज्जन मोहल्ला छोड़कर महानगर में शिफ्ट हो गए । उनका मकान गिराऊ हालत में था। वह जिसको बेच कर गए ,उसने तुड़वा कर बनवाने का विचार बनाया । लेकिन मकान टूटने के बाद जब मलवा उठा तो उसके बाद न जाने क्या परिस्थितियाँ आ गईं कि आगे का काम रुक गया । वह जगह पूरे मोहल्ले में एकमात्र खाली मैदान बनकर बच्चों को उपलब्ध हो गयी । उसी का नामकरण बच्चों ने “कच्चा-हाउस” कर दिया ।
कच्चे-हाउस में अब रोजाना सुबह से देर रात तक बैडमिंटन और क्रिकेट खेला जाने लगा । जिस समय भी कच्चे-हाउस के पास चले जाओ ,दस-बारह बच्चे खेलते हुए नजर आ जाएँगे । बच्चों में एक दूसरे से आत्मीयता बढ़ने लगी । रोजाना मुलाकात से उनमें अंतरंगता उत्पन्न हो गई । चार तरह की बातें भी बच्चे आपस में करने लगे । बस यूँ कहिए कि कच्चे-हाउस के कारण महफिल जुड़ने का एक बहाना मिल गया । दोस्ती पक्की होने लगी । पहले शायद ही कभी कोई बच्चा किसी दूसरे बच्चे से बात करता हो ,लेकिन अब तो सब एक दूसरे के गले में बाहें डाल कर कच्चे-हाउस के आसपास घूमते नजर आने लगे ।
बच्चों में बैडमिंटन और क्रिकेट का शौक शुरू हुआ ,तो हर घर में रैकेट खरीदा जाने लगा । मोहल्ले की स्त्रियाँ जिनको कभी किसी ने बैडमिंटन खेलते नहीं देखा था ,वह अब नियमित रूप से बैडमिंटन का अभ्यास करने लगीं। यूँ समझिए कि कच्चा-हाउस महिलाओं की “किटी-पार्टी” का भी केंद्र बन गया । सारी गपशप इसी कच्चे-हाउस में आकर होती थी ।
अकस्मात एक दिन खुशी के इस मौसम में एक व्यवधान आ गया । कुछ लोग बाहर से कच्चे-हाउस का निरीक्षण करने आए थे । उनकी बातचीत से पता चला कि वह कच्चा-हाउस खरीदने में रुचि ले रहे हैं। बच्चों ने उनकी बात सुन ली थी और उसके बाद से पूरे मोहल्ले में एक उदासी छाई हुई थी। सब बच्चे यह सोच कर परेशान थे कि अगर कच्चा-हाउस बिक गया और यहाँ पर नए खरीदार ने अपना भवन बना लिया तो फिर यह जो खेल और दोस्ती का केंद्र पहली बार मोहल्ले को नसीब हुआ है ,वह हाथ से निकल जाएगा ।
बच्चों की उदासी देखकर उनके घरों के बड़े लोग भी चिंतित हो उठे । बच्चों के मम्मी-पापा विशेष रूप से इस बारे में चर्चा करने लगे । सब को लग रहा था कि सचमुच कच्चे-हाउस ने मोहल्ले में जो सक्रिय उत्साह उत्पन्न किया है ,वह कहीं समाप्त न हो जाए !
फिर क्या था ,सब बच्चों के मम्मी-पापा एक जगह बैठे और सबने एक निर्णय लिया। उसके बाद सारे मम्मी-पापा मिलकर कच्चे-हाउस के मालिक के पास गए । बातचीत की और लौटकर साथ में मिठाई का डिब्बा लेकर मोहल्ले में प्रविष्ट हुए ।
बच्चों ने पूछा “पापा ! क्या समाचार लाए हैं ,जो मिठाई का डिब्बा भी हाथ में है ?”
सब बच्चों के पापा ने सामूहिक स्वर में कहा “हमने कच्चा-हाउस मोहल्ले के बच्चों के लिए खरीद लिया है । अब यहाँ पर पार्क बनेगा और उसकी देखभाल सब परिवारों की एक सोसाइटी बनाकर की जाएगी ।”
सुनते ही बच्चे खुशी से झूम उठे । कच्चे-हाउस में उस दिन खूब जमकर होली खेली गई । नृत्य हुए तथा तबले-बाजे और ढोलक के स्वर देर रात तक गूँजते रहे ।
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लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451