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26 Aug 2021 · 1 min read

कगार के वृक्ष

कगार के वृक्ष तुम यूं ही उखड़ ना जाना ।
अपने साये में कुछ नई पौध जमा जाना ।
तुमको तो है अब जाना हो चुका चोल पुराना ।
थके पाॅव थका दिल है मंद पड़ा सांस का आना।
अब तो नई पौध का आया नया जमाना ।
कगार के वृक्ष तुम यूं ही उखड़ ना जाना ।
देकर इनको अनुभव अपने संघर्षी जीवन के,
समझाकर दायित्व भरो नई चेतना मन में।
ले बड़प्पन अपना पथ शूल ना बन जाना।
कगार के वृक्ष तुम यूं ही उखड़ ना जाना ।
नव पथिकों का स्वागत स्नेह निर्झर से कर दो,
इनके स्वर्णिम सपनों को पूरा होने का अवसर दो।
युगों-युगों तक पूर्वजों के भूलेंगे ना गुण गाना।
कगार के वृक्ष तुम यूं ही उखड़ ना जाना ।
नया जोश है नई उमंग है हृदय में नवतरंग है,
प्रकृति के नवचित्रों में भरना तुमको नवरंग है।
याद करेंगे तुमकों ये प्रगति-वर देते जाना ।
कगार के वृक्ष तुम यूं ही उखड़ ना जाना ।

Language: Hindi
5 Likes · 3 Comments · 323 Views
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