कक्षा नवम् की शुरुआत
चुपके सा था मासुम सा था ,
वह पहला दिन था हमारा ।
कक्षा नवम् में खोया सा था ,
पाना तो था उच्च शिक्षा ।
आज ना कल तो आना ही था,
हमें कक्षा नवम् में।
चलों गरमी की छुट्टी के पहले ही सही ,
पर आखीर आ ही गये ।
हम कक्षा नवम् में ,
कक्षा की शुरूआत तो कुशवाहा सर से हुआ ।
पर वो इस सुंदर भाषा को पढ़ा ही गये ,
वो सुंदर भाषा और कुछ नहीं ये हिन्दी ही थी।
कक्षा की शुरुआत तो हिन्दी से हुआ ,
पर भूगोल और गणित भी बीत गया ।
पढ़ाने का तरीका कुछ बदला सा था ,
मानो की सर कुछ बदल से गये।
ये सच ही था की जुनीयर से सिनियर ,
बनने का मजा ही कुछ और होता है ।
कुछ नए शिक्षक से मिले ,
कुछ नई सिखने को मिला ।
जो कुछ सुनने को मिलता था ,
Physics बहुत कठिन होता है ।
वो सब कुछ नहीं था ,बस
पढ़ाने का तरीका अलग होता है।