कई तो इतना भरे बैठे हैं कि
कई तो इतना भरे बैठे हैं कि
एकाध बूँद टपका ही देते हैं।
धीरे से, मौक़ा मिलते ही।
ज़हर, और क्या…!!
😢प्रणय प्रभात😢
कई तो इतना भरे बैठे हैं कि
एकाध बूँद टपका ही देते हैं।
धीरे से, मौक़ा मिलते ही।
ज़हर, और क्या…!!
😢प्रणय प्रभात😢