कई खत
१.
दूर भी रहते हैं
वो पास भी रहते हैं
वास्ता नही रखते हमसे
बस छुप-छुप के तकते हैं
इश्क सरेआम जाहिर न हो जाय
बस इससे ही तो वो डरते हैं…
…सिद्धार्थ
२.
***
कई खत लिखे थे, फिर तेरे ही यादों की ही नदी में हम बहा आये
जो ख़ुशी मयस्सर न हमें उसे उठ के हम यादों में ही दफ़ना आये !
…सिद्धार्थ