कौआ और कोयल ( दोस्ती )
एक बार की बात है एक बाग में सभी पक्षी अपनी मधुर आवाज से वातावरण में मिश्री घोल रहे थे । तभी उऩ्हे एक कर्कश आवाज सुनाई दी । उन्होंने देखा पास ही एक पेड़ पर एक कौआ अपनी आवाज उनके साथ मिलाने की कोशिश कर रहा है । वे सभी उसको चुपचाप सुनने लगे । थोड़ी देर बाद वे उसकी आवाज का मजाक उड़ाते हुए एक-एक करके वहां से उड़ गए । बेचारा कौवा वहां अकेला ही गाता रह गया । मगर वह अपने घर अर्थात उस पेड़ को छोड़कर नहीं गया । वह मायूस होकर वहीं बैठा रहा और सोचने लगा आखिर इसमें उसकी गलती क्या है । जो रंग रूप जो आवाज उसको मिली है वह भगवान अर्थात प्रकृति की ही तो देन है ।
एक दिन एक कोयल उस बाग की शांति और स्वच्छता को देखकर पेड़ पर उतर आई । वह अपनी मधुर आवाज में गाने लगी । कौवा चुपचाप उसकी मधुर आवाज सुनता रहा और कुछ नहीं बोला । कोयल उसे इस तरह मायूस देखकर पूछने लगी अरे तुम इतने सुंदर बाग में परेशान और चुपचाप क्यों बैठे हो । कोयल के पूछने पर कौए ने अपनी बीती उसे सुना दी और कहने लगा अगर मैं गाऊंँगा तो तुम भी उड़ जाओगी । कोयल बोली तुम गाओ तो सही मैं कहीं नहीं जाऊंगी । कोयल की बात सुनकर कौआ गाने लगा । कोयल भी अपनी मधुर आवाज में कौए के साथ गाने लगी । कोयल की आवाज सुनकर सभी पक्षी वहाँ आ गए । वे सब उसकी चापलूसी करते हुए उसको साथ ले जाने के लिए मनाने लगे । मगर कोयल ने यह कहकर साथ जाने से मना कर दिया कि हमें अपने रंग रूप और आवाज पर घमंड नहीं करना चाहिए, तुम्हारे व्यवहार और वातावरण में तो दुर्गंध फैली हुई है । कोयल के ऐसे शब्द सुनकर सभी पक्षी वहां से उड़कर चले गए ।
कौआ चकित होकर यह सब देखता रहा । वह भावुकता से बोला तुम कितनी अच्छी हो । उसने कहा कि क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी । कोयल बोली क्यों नहीं । कौआ उसकी बात सुनकर खुश होकर बोला । तो आज से हम दोनों दोस्त हुए बोलो मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूं । कोयल बोली अरे दोस्त मुझको घर बनाना और उसे सहेजना नहीं आता , क्या मैं तुम्हारे घोसले में अंडे रख सकती हूं । कौवा बोला हां दोस्त , तुम अपने अंडे मेरे घोसले में रख सकती हो मैं उन्हें अपने बच्चों की तरह रखूंंगा । बस तुम तो अपनी मधुर आवाज से हमारा और लोगों का दिल बहलाती रहना । तभी से कौए और कोयल की दोस्ती मशहूर है । कोयल कौए के घोंसले में अंडे देती है और कौवा उनको अपने बच्चों की तरह संभालता है ।
सीख :- हमें अपने मूल रूप में ही सदा खुश रहना चाहिए ।