कंटक जीवन पथ के राही
कंटक जीवन पथ के राही
कंटक जीवन पथ के राही,लड़ कर पथ पर बढ़ना होगा।
कठिनाई पर पलने वाले,राही निज को गढ़ना होगा।
द्रोण नहीं सबको मिलते हैं,भीष्म नहीं सबको गढ़ते हैं।
परशुराम से क्या हो याचन,श्राप दया में हीं मिलते हैं।
तू खुद से हीं ध्यान लगाकर,निज हीं निज संधान चढ़ाकर।
जीवन पथ पर चलने वाले,जीवन पथ रण लड़ना होगा।
ऐसे तुझको चढ़ना होगा,ऐसे खुद को गढ़ना होगा।
अजय अमिताभ सुमन